नई दिल्ली, 30 अप्रैल 2025: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समिति ने आगामी जनगणना में जातिवार गणना शामिल करने का निर्णय लिया है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यह वर्तमान सरकार की राष्ट्र और समाज के समग्र हितों और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाती है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 246 के अनुसार जनगणना संघ का विषय है, जो सातवीं अनुसूची के संघ सूची में 69वें स्थान पर उल्लिखित है। हालांकि कुछ राज्यों ने जातिवार गणना के लिए सर्वेक्षण किए हैं, पर इनमें पारदर्शिता और उद्देश्य अलग-अलग रहे हैं। कुछ सर्वेक्षण पूरी तरह राजनीति के दृष्टिगत किए गए हैं, जिससे समाज में दुविधा उत्पन्न हुई है।
केंद्र सरकार ने इन सभी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए तथा सामाजिक ताने-बाने को राजनीतिक दबाव से मुक्त रखना सुनिश्चित करने हेतु अलग-अलग सर्वेक्षणों की बजाय मुख्य जनगणना में ही जातिवार जनगणना कराने का निर्णय लिया है।
कैबिनेट की निर्णय को लेकर सूत्रों ने कहा यह सुनिश्चित करेगा कि समाज आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत रहे और देश की प्रगति बिना किसी अवरोध के जारी रहे।
उल्लेखनीय है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किये जाने पर समाज के किसी वर्ग में तनाव पैदा नहीं हुआ।
देश की आज़ादी के बाद से अब तक की सभी जनगणनाओं में जाति को बाहर रखा गया है। वर्ष 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा को आश्वस्त किया था कि जातिवार जनगणना कराने के मुद्दे पर कैबिनेट में विचार किया जाएगा। इस विषय पर विचार-विमर्श के लिए मंत्रियों का एक समूह भी बनाया गया था। इसके अलावा अधिकांश राजनीतिक दलों ने जातिवार जनगणना की सिफारिश की थी। इसके बावजूद भी पिछली सरकार ने जातिगत जनगणना की बजाय सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना सर्वेक्षण (एसईसीसी) का विकल्प चुना।