आईपीएस जी पी सिंह को मिली सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत
रायपुर, 10 दिसंबर 2024: छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस अधिकारी जी पी सिंह को आज सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति के संबंध में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के फैसले को बरकरार रखा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जस्टिस हृषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की पीठ ने सिंह के खिलाफ अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश को खारिज करने को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार की याचिका को खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को केंद्र की चुनौती पर पारित किया, जिसमें छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस अधिकारी की अनिवार्य सेवानिवृत्ति को खारिज करने वाले कैट के फैसले को बरकरार रखा गया था।
भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने जी पी सिंह पर भ्रष्टाचार, जबरन वसूली और देशद्रोह के आरोप लगाया था।
साथ ही सिंह पर आय से अधिक संपत्ति जमा करने का आरोप लगाते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(बी) और 13(2) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी और जांच के दौरान आईपीसी की धारा 201, 467 और 471 जोड़ी गई थी।
1 जुलाई 2021 को छत्तीसगढ़ पुलिस ने रायपुर में उनके सरकारी क्वार्टर पर छापा मारा। दावा किया गया कि घर के पीछे एक नाले में कुछ हस्तलिखित कागजात मिले थे, जो तत्कालीन राज्य सरकार के खिलाफ प्रतिशोध और नफरत का संकेत देते थे। नतीजतन, सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए और 153ए के तहत अपराध करने के लिए एफआईआर दर्ज की गई।
09.03.2023 को छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र को सूचित किया कि सिंह सेवा में बने रहने के योग्य नहीं हैं। 20.07.2023 के आदेश के अनुसार, उन्हें अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ) नियम, 1958 के नियम 16(3) के तहत अनिवार्य रूप से सेवा से सेवानिवृत्त कर दिया गया।
उन्होंने इस फैसले को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के समक्ष चुनौती दी। न्यायाधिकरण ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया और सभी परिणामी लाभों के साथ बहाली का निर्देश दिया। भारत सरकार ने इस आदेश को उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी, लेकिन याचिका खारिज कर दी गई।